Saturday, March 26, 2011

किसे अपना कहें इस मतलबी दुनिया में
दिखते तो सभी अपने आस-पास हैं पर कोई हमारे पास नही हैं
किसे अपना कहें...

रोते हैं तो आँसू पोछने वाला कोई नहीं हैं
खुशियों का जरा दिख जाये ठिकाना उने ज़रा सा भी तो घेरा ङालने वाले बहुत हैं
किसे अपना कहें...

काँटे तो बोने वाले हज़ार खङे हैं
पर फूलों का लाने वाला नज़र तक नहीं आता हैं
किसे अपना कहें...

जिंदगी तुम ऐसे ही चलती रहना मैं होंसला नही खोने दूँगा
तुम तो मेरा साथ देना मेरा
कोई अपना नहीं...

उगम सिंह राजपुरोहित

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