भारत जा रहा हैं उन्नति के शिखर पर, हम मदद जरुर करेंगें उसके प्रगति-पथ पर।
आजादी तो हमें मिल गईं पर मंजिल अभी दूर हैं, हाथ ह्रदय पर रखकर देखो कष्टो से जनता व्याकुल हैं॥
अपनी सुख-सुविधा में हमने ताख पर रखे नियम-कायदे, क्या स्वतंत्रता सेनानियों ने इसलिए दिया अपना बलिदान? कि हम भूल जाएं आजादी के मायने? पुरखो ने इसे लहूं से सिँचा त्याग से दिया यह तोहफा!
अब फर्ज बनता हैं अपना करें इस आजादी की रक्षा॥
द्वेष, हिंसा, भ्रष्टाचार मचा हैं चारोँ ओर हाहाकार!
ढेरोँ बुराइयों ने रखा हैं घेर हमारा प्यारा हिन्दुस्तान-2
भङक रहीं हैं असंतोष की ज्वाला,
जख्मी हैं सारा हिन्दुस्तान?
रामराज्य बापू का सपना सबसे अच्छा हो देश अपना, स्वतंत्र भारत में हो सुशासन स्वस्थ हो राष्ट्र का वातावरण।
पर अब विकास की दौङ में नैतिकता का ह्यस हो रहा?
देखो विङम्बना ये कैसी! आज संविधान का भी अपमान हो रहा?
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 23 जनवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete